आखिर कौन है ऑपरेटिंग सिस्टम का बादशाह, और किसका ऑपरेटिंग सिस्टम है सबसे बेहतर?
who is the king of operating system, and whose operating system is the best
इंटरनेट के दौर में आज हर व्यक्ति Smartphone का प्रयोग कर रहा है, और आज के समय में सभी लोग smartphone का प्रयोग कर भी रहे हैं, चाहे वह उच्च वर्ग का हो या फिर मध्यम वर्ग का अथवा निम्न वर्ग का व्यक्ति हो।
smartphone का उपयोग करने से सुरक्षा (security ) का भी सवाल उत्पन्न हो जाता है, क्योंकि आज जिस तरीके Technology का विकास हो रहा है, उसी तरह से साइबर फ्रॉड का खतरा भी बढ़ गया है, जिसकी वजह से लोग अपने आपको असुरक्षित भी महसूस करने लगे हैं उनके द्वारा असुरक्षित तरीके से स्मार्टफोन का प्रयोग करने से असुरक्षा का खतरा भी बढ़ गया है।
जब सुरक्षा की बात आती है तो Secured Phone भी खरीदने की सलाह दी जाती है, और सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system) के माध्यम से हम इस बात को सुनिश्चित कर सकते हैं.
आज हम सुरक्षित फोन और सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में ही बात करेगें और जानने का प्रयास करेंगें कि वास्तव में कौन सा ऑपरेटिंग सिस्टम Operating system बेहतर है।
कुछ सालों पहले तक समय ऐसा था कि हमारे पास कई ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन हुआ करते थे,
जैसे:-
Tizen,
Symbian,
Windows Operating System,
Blackberry OS,
Android
IOS इत्यादि।
लेकिन आज के समय में इन ऑपरेटिंग सिस्टम का अस्तित्व लगभग खत्म हो चुका है, और इस क्षेत्र में बचे हैं सिर्फ दो महारथी
पहला है: Android Operating System
और
दूसरा है: IOS
आज के समय में कई ऐसे स्मार्टफोन यूजर है जो Android और IOS ऑपरेटिंग सिस्टम को यूज कर रहें हैं, जिनमें सुरक्षा के लिहाज से कई फायदें तो कुछ नुकसान भी हैं।
आइये कुछ अन्तर को जानने का प्रयास करते हैं कि किन मामलों में दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम एक दूसरे से बेहतर है।
1). एंड्रॉयड एक Open source ऑपरेटिंग सिस्टम है, मतलब आप इंटरनेट पर कहीं से भी किसी भी प्रकार का एप्लीकेशन इंस्टॉल कर सकते हैं, जिससे आपके फोन की सुरक्षा में सेंध लग सकता है, वहीं दूसरी तरफ आई.ओ.एस ऑपरेटिंग सिस्टम ओपेन सोर्स नही है, इसमें एप स्टोर के अलावा आप कहीं से भी कुछ डाउनलोड नही कर सकते हैं, और न ही इंस्टॉल कर सकते हैं। क्योंकि एप्पल इसकी सुरक्षा खुद करता है।
2). IOS के मुकाबलें एंड्रॉयड में आसानी से कस्टमाइजेशन (Customization)किया जा सकता है, आप अपने फोन में किसी भी प्रकार का Launcher लगा सकता है, अपने फोन के लुक को और बेहतर कर सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ आई.ओ.एस में इस तरह का कोई भी विकल्प मौजूद नही रहता है। जो कि बहुत ज्यादा यूजर को परेशान भी करता हैं.
3). सुरक्षा के लिहाज से आई.ओ.एस के एप स्टोर में फालतू के एप्लीकेशन नही होते हैं, जो हमारी सुरक्षा में सेंध लगा दे, वही दूसरी तरफ Play store में ऐसे कई एप्लीकेशन होते हैं, जो हमारी सभी प्रकार की गतिविधियों पर नजर रखने का काम करती है।
आई.ओ.एस इसकी सुरक्षा खुद करता है और एप स्टोर के एप्लीकेशन के लिए एप्पल के कड़े नियम भी होते हैं, जिसकी वजह से एप डेवलपर को सुरक्षित एप्लीकेशन बनानी होती है।
4). चूंकि एंड्रॉयड उपभोक्ताओं की संख्या बहुत ज्यादा है, और इस लिहाज से इसको आई.ओ.एस के मुकाबले कम सुरक्षित माना जाता है, इसका सबसे बड़ा कारण इसका ओपेन सोर्स होना, अर्थात् आपके मोबाइल से किसी भी प्रकार के एप्लीकेशन को इंस्टॉल करके फोन के डाटा का आसानी से एक्सेस किया जा सकता है, वहीं दूसरी तरह आई.ओ.एस में ऐसा संभव नही है, सिर्फ यदि फोन को जेल ब्रेक (Jail Break) न किया गया हों।
5). ऐसा कहा जाता है कि यदि टैक्नोलॉजी का बेहतरीन जानकार है तो वह एंड्रॉयड की कोडिंग में बदलाव कर सकता है, वहीं आई.ओ.एस में इसकी सुरक्षा में आसानी से छेड़छाड़ नही की जा सकती है।
ये तो कुछ अन्तर थे इन दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम में, जहां पर हमें दोनों में कुछ कमियां तो कुछ विशेषताएं देखने को भी मिली।
"ये बात सही है कि कई टेक विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं कि आई.ओ.एस ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड के मुकाबले काफी सिक्योर माना जाता है, लेकिन सुरक्षा के साथ हमें बहुत बंधनों में बंधना पड़ता है, हम एंड्रॉयड को जितना स्वतंत्र तरीके से चला सकते हैं उतनी आजादी हमें आई.ओ.एस में देखने को नही मिलती है।"
कैंसे सुरक्षित रहें एंड्रॉयड उपभोक्ताः
How to stay safe Android users:
देखिये यदि सुरक्षित तरीके से किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम को उपयोग में लाया जाये तो, हम अपने स्मार्टफोन की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं। ये अच्छी बात है कि गूगल इस दिशा में काफी अच्छा काम कर रहा है, और वो समय-समय पर सुरक्षित यू.आई को लांच करता रहता है। और नये अपडेटेड वर्जन के साथ सुरक्षा के नये-नये फीचर्स भी लेकर आता रहता है।
अब ये बात सही है कि एंड्रॉयड अपने पिक्सल सीरीज में ये काम जल्दी कर देता है, वहीं दूसरी ओर कंपनियां अपने-अपने स्मार्टफोन में उक्त सुरक्षित वर्जन काफी देर में लांच करती हैं।
"इसलिए समय के साथ-साथ अपने फोन को हमेशा अपडेट करना चाहिए, जिससे उसकी सुरक्षा में कोई बाधा उत्पन्न न होने पाये।"
कितने उपभोक्ता है:?
विश्व स्तरीय फर्म Statista.com के अनुसार वर्ष June, 2021 में पूरे विश्व में 75 प्रतिशत से भी ज्यादा उपभोक्ता एंड्रायड के हैं, वहीं दूसरी ओर लगभग 22 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा आई.ओ.एस के उपभोक्ता है, जो कि एंड्रॉयड के मुकाबले काफी कम है।
इतने बड़े अन्तर का सबसे बड़ा कारण एंड्रायड के सस्ते स्मार्टफोन का उपलब्ध होना भी है, जहां पर हमें 3000 रूपये में ही एंड्रॉयड का डिवाइस मिल जाता है, वहीं दूसरी ओर एप्पल के स्मार्टफोन के लिए हमें 20000 से भी ज्यादा रूपये की धनराशि अदा करनी पड़ती है वो भी एक साधारण से एप्पल फोन के लिए।
आशा है आपको आई.ओ.एस तथा एंड्रायड की कुछ विशेषताओं और कमियों के बारे में जरूर जानने को मिला होगा।